महीना: दिसम्बर 2010

घोटाला करने वालों का देश

क्या अपना देश अब घोटाले दर घोटलों का देश कहलाया जाने लगेगा ?

वह दिन दूर नही लगता , जब यह देश घोटलेबाजों का देश कहलाया जाने लगेगा / हमारे देश के नेता ताल ठोंक कर घॊटाला पर घॊटाला किये जा रहे है और हम सभी तमाश्बीन की तरह बैठे हुये देख रहे है और कुछ कर नहीं पा रहे है / यह हमारे लिये असहाय की स्तिथि बन गयी है /

सरकार तो बिल्कुल उदासीन है और मौजूदा सरकार तो कतई चाहिती ही नहीं है कि इन सभी घॊटालों से पर्दा उठे / इतनी बडी बडी रकम के घोटाले हुये है कि दिमाग चकरा जाता है कि इस देश के नेताओं का हाजमा कितना अच्छा है कि वे इतनी बड़ी बड़ी रकमें हजम किये जा रहे है और डकार तक नहीं ले रहे है /

यह भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा है / ताज्जुब की बात यह है कि इसे रोकने में किसी की भी किसी किस्म की कोई दिलचस्पी नहीं है, चाहे वह जनता हो, राज्नीतिक दल हों या इस देश का स्वतन्त्र मीडिया /

वजह बिलकुल साफ़ है, मामला पैसे सन्चय करने के सवाल से जुड़ा है / माले मुफ्त दिले बेरहम वाली मसल है / स्विस बैन्कों में जमा कई लाख करोड़ रुपया किसका है ? सब जानते है कि किसका पैसा है और कौन जमा कर रहा है, सरकार को सब पता है /

वास्तविकता तो यही समझ में आती है कि हमारे देश के नेता ही नही चाह्ते कि इस देश से भ्रष्टाचार दूर हो, बल्कि वे स्वयम चाह्ते है कि भ्रश्टाचार और ज्यादा से ज्यादा खूब फले फूले /