एक कहावत कही जाती है कि “बदनाम न होन्गे तो क्या नाम ना होगा” ? यानी अगर लोग किसी का नाम बदनीयत से या बदगुमानी से या बदनाम करने की नीयत से लेते है तो क्या उसके नाम की चर्चा नही होती है और इसके सहारे ही सही उसका नाम तो होगा ही ? यह एक तरह की पब्लीसिटी ही कही जायेगी जो “पाजिटिव” ना होकर “निगेटिव” कही जायेगी /
यही बात नरेन्द्र भाई मोदी पर बहुत सटीक बैठती है /
मेरा तो रोजाना ही घूमना होता रहता है / दूर दूर तक शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में आना जाना लगा रहता है काम के सिल्सिले में / पैदल, रिक्सा, बैल्गाड़ी, ट्रैक्टर, डग्गामार वाहन, रेल्गाड़ी,मॊटर साइकिल, साइकिल, कार, टैक्सी, रोडवेज बस, ट्रक यानी जो भी सवारी मिल जाती है मै उससे सफर पूरा कर लेता हू /
सफर मे सभी तरह के लोग मिलते है और चर्चा करते रहते है अपने अपने मनो भावों को अपनी बुध्धि के अनुसार व्यक्त करते रहते हैं , मै एक श्रोता बनकर उनकी सब्की बाते सुनता रहता हू और अपने मतलब की बात समझने के लिये उनसे सवाल और जवाब भी कर लेता हू / गावों में और कस्बाई और शहरी और उप-नगरीय क्षेत्र के लोगों के विचारों को जानता समझता हू और सन्ग्रह करता रहता हूं /
पिछले कई सालों से इस देश और प्रदेश के लोग नरेन्द्र मोदी को समझते , उनके बारे मे सुनते हुये चले आ रहे हैं / लोग समय समय पर अपनी समझ के अनुसार नरेन्द्र मोदी के बारे मे बाते करते रहते है /
मै इसे उलटे सीक्वेन्स से लेकर चलता हू ;
[१] लोग इस बात की चर्चा करते है कि “इशरत जहां” के एन्काउन्टर में मोदी और उनके सहयोगियो तथा अफसरों को लपेटा जा रहा है / देश का मीडिया इशरत जहां को हाइलाइट कर रहा है / मीडिया और केन्द्र सरकार देश के लोगो को यह बताने में पूरी तरह फेल हो गयी कि इशरत जहां का क्या इतिहास रहा है ? उसके साथ जिन और पुरुष साथियों का एन्काउन्टर हुआ , उनके सबके बारे मे उनकी आइडेन्टिटी और किस जगह के रहने वाले थे, ना तो इस देश के मीडीया ने बताया , ना सरकार ने ौर ना अन्य किसी माध्यम से लोगों को बताने की कोशिश की गयी /
इस देश के लोगो से इस केस की सच्चाई छुपाइ गयी है और नरेन्द्र मोदी को बेवजह कचेहरी, सी०बी०आई० और केन्द्र सरकार की कान्ग्रेस सरकार और कान्ग्रेस पार्टी अपना निशाना बनाकर उनको बदनाम कर रही है और नीचा दिखा रही है, जब्कि इस देश के लोगो को इस तरह की हरकते बहुत अति मे दिखाई देती है कि एक आदमी के पीछे केन्द्र सरकार और कचहरी और जान्च एजेन्सियां तथा कान्ग्रेस पार्टी नरेन्द्र मोदी के पीछे हाथ धोकर पड़ी है और जो सही बात करता है उसको परेशान कर रही है /
लोगो को लगता है कि यह अति है और बे-इन्तहा जुल्मो सितम है और नरेन्द्र भाई को वेवजह परेशान करने का कुचक्र है ,जबकि नरेन्द्र मोदी ने ऐसा कुछ भी नही किया है ? यह “निगेटिव पब्लीसिटी” नरेन्द्र मोदी के खाते मे चली गयी और इससे उनको फायदा हुआ और उनकी लोक प्रियता और उनके प्रधान मन्त्री पद की दावेदारी की लोगों के बीच में स्वीकार्यता अधिक बढ गयी /
[२] तीस्ता सीतलवाड़ के साथ साथ देश का मीडिया भी नरेन्द्र मोदी के पीछे पड़ गया , इस बात को लेकर कि गुजरात के अन्दर अगर “गोधरा के दन्गों “की सुनवाई की गयी या मुकदमों की सुनवाई की गयी तो लोगों को न्याय नही मिलेगा / लिहाजा मुकदमों की सुनवाई दूसरे राज्य में की जाय, इस बात की मान्ग उठाई गयी / यह शायद इस देश की न्याय व्यवस्था का अजूबा उदाहरण होगा , जब एक राज्य के मुकदमे की सुनावाई किसी दुसरे राज्य मे स्थानातरित कर दी गयी हो /
देश की जनता सब देख रही थी कि किस तरह साम्प्रदायिकता और धर्म निर्पेक्षता के नाम पर राज नीतिक दलों मे धड़े बन्दी हो रही थी और किस तरह सब के सब धर्म निर्पेक्ष दल पानी पी पी कर नरेन्द्र मोदी को निशाना बनाये हुये “विलेन” बनाने पर तुले हुये थे /
लोग सोच रहे थे कि गोधरा में हिन्दू बड़ी सन्ख्या में बेरहमी के साथ रेल की बोगी में जला दिये गये थे , इन जला दिये गये हिन्दुओं को तो कोई पूछने वाला नही था और न उनका कोई पुरसा हाल जानने वाला था / देश के नेताओं ने देश की जनता को बताया ही नही कि बहुसन्ख्यक हिन्दुओं को क्यों और किसलिये इस बेरहमी से मारा गया ? उनको तो यानी देश के नेताओं को अपने वोट बैन्क की फिक्र थी / कोई नही बता रहा था कि रेल की बोगी के अन्दर बन्द करके पेट्रोल डालकर जलाये गये बहु सन्ख्यक हिन्दुओं को क्यों और किसने मार डालने की साजिश की ?
गोधरा के अन्दर जो कुछ भी हुआ यह सब एक सोची समझी साजिश के अन्तर्गत किया गया / पहले से preplanned था / इस preplanned साजिश का मकसद साफ़ था कि रेल मे हिन्दू ही है और उनको निशाना बनाकर मारों /
बाद मे जो भी हुआ वह सब इस घटना के reaction मे हुआ / इतनी बड़ी सन्ख्या में जघन्यतम अपराध किया जाये और उसका कोई reaction न हो , क्या ऐसा सम्भव है ? आज अगर इसी तरह के reaction की बात करें तो सबसे ताजा उदाहरण उत्तर प्रदेश के मुजफ्फर नगर का ही ले लीजिये / यहां बिल्कुल ठीक उसी तरह की कहानी दुहराई गयी है जैसा कि गुजरात मे मुसलमानॊ और हिन्दुओं के बीच में हुयी / उत्तर प्रदेश में तो गुजरात से भी ज्यादा बदतर हालात पैदा हो गये / जिस तरह दन्गा भड़्का और फैलता चला गया इससे क्या निष्कर्ष समाज वादी पार्टी के नेता निकालेन्गे /
जिस तरह की भावनात्मक मानसिकता बहुसन्ख्यक जन मानस के अन्दर गुजरात मे हिन्दुओं की मुसलमानों के प्रति बनी वही और ठीक उसी तरह की बहु सन्ख्यक मानसिकता उत्तर प्रदेश के मुजफ्फर नगर मे ठीक उसी तरह की परिस्तिथियों को लेकर बनी / इससे इन्कार नही किया जा सकता है /
गुजरात के दन्गों में यही बहुसन्ख्यक मान्सिकता पैदा हुयी / यह सब अचानक हुआ / क्या किसी सरकार के अन्दर इतने साधन है कि ्वह इसे रोक सके ? क्या हिन्दुओं के अन्दर इतनी सहन्शीलता है कि वे बड़ी निर्दयता के साथ मार डाले जांय और वे उफ तक न करे ?
दिल्ली मे एक चलती बस में गैन्ग रेप हुआ तो सारा देश उठकर खड़ा हो गया और सब एक स्वर मे बोलने लग गये / ताजा उदाहरण लीजिये, राहुल गान्धी, कान्ग्रेस पार्टी के महासचिव अपनी दादी और अपने पापा की मौत के तरीके को लेकर भावुक हो सकते है और अपनी मनो दशा का इजहार चुनाव की रैलियों में कर सकते हैं / लेकिन गोधरा कान्ड में मारे गये हिन्दुओं के लिये कोई भी बात तक करने को तैयार नही, ऐसा लगता है जैसे इस विषय पर अगर बात की गयी तो बात करने वाले को छूत की बीमारी लग जायेगी /
इस तरह से कुछ राजनीतिक दलों द्वारा की जा रही बयान बाजी से अधिसन्ख्य हिन्दू मन ही मन नाराज नही होन्गे तो क्या होगा ? याद करिये, ध्यान दीजिये, क्योन्कि आप सभी को भूल जाने की आदत है, इसीलिये याद कराये दे रहा हूं कि जब माननीय मुलायम सिन्घ की सरकार उत्तर प्रदेश में शासनारूढ थी तब “राम” का नाम लेना भी गुनहगार बन गया था / लोग मरे हुये जीव को यानी मानव मुर्दा को यानी कि मृत हिन्दुओं को अन्तिम सन्सकार के लिये मुर्दा घाट पर जलाने के लिये घर से मुर्दा घाट तक ले जाते समय उद्घोष “राम नाम सत्य है” और ” हरि का नाम सत्य है ” जैसे बोलों को भी मुलायम सिन्घ के कहर और उनकी सरकार के डर और दहशत के मारे लोगों ने उदघोष तक करना बन्द कर दिया था और चुपचाप बिना एक शब्द कहे मुर्दा को घर से लेकर घाट तक पहुन्चा दिया करते थे /
इस तरह की घटिया किस्म की और निम्नतर स्तिथि की राज्नीति की जायेगी तो लोग कही न कही ना्राज तो जरूर होन्गे / अगर नरेन्दर मोदी ऐसी ही किसी सम्वेदन शील बातों को ऊठाते है तो उनको मौन समर्थन तो मिलेगा ही / विरोधी कितना भी कहें , देश की जनता सब देखती चली आ रही है /
लोगों ने समझ लिया है कि कान्ग्रेस और उनकी सहयोगी पार्टियां ये सब मोदी के पीछे एक तरफा पड़े हुये है और सीमा विहीन होकर उनको बदनाम करने पर तुले हुये है और जबरदस्ती उनको “विलेन” और “खल नायक” बनाये दे रहे हैं /
3- राहुल गान्धी को अभी अपरिपक्व नेता कहा जायेगा / बेहतर है ये किसी घाघ और कुरीज और चखड़ और पुराने मन्जे हुये कान्ग्रेसी नेता को अपना गुरू बनायें , गुरू ऐसा हो जो घाट घाट का पानी पी चुका हो / कान्ग्रेस पार्टी मे ऐसे बहुत से घाघ नेता मौजूद है / कुछ नाम मै सुझाये दे रहा हू पहला सत्य व्रत चतुर्वेदी और दूसरे जनार्दन द्विवेदी / राहुल गान्धी को इनकी शागिर्दी करनी चाहिये / कान्ग्रेस में और भी नेता हो सकते है / लेकिन राहुल गान्धी को एक घाघ और बडे खुर्राट कान्ग्रेसी नेता को सलाह्कार के रूप में अब रखना जरूरी हो गया है /
अगर राहुल गान्धी चाहते है कि उन्हे नरेन्दर मोदी से मुकाबला करना है तो उनको Tit for Tat के लिये अपने को तैयार रखना होगा / पुराना घिसा पिटा कान्ग्रेस का लोक लुभावन फार्मूला जो गान्धी नेहरू के जमाने से चला आ रहा है, यह अब सब समय के साथ साथ भूत काल का हो चुका है और अब इसे बहुत नही , भूत, कहा जायेगा /
कान्ग्रेस या दूसरे राज्नीतिक दल “साम्प्रदायिकता” को मुद्दा बनाकर कितना और कितने साल अपनी राज्नीति कर पायेन्गे / इस तरह की राज्नीति को अब सब समझने लग गये है / देश के अधिसन्ख्य लोगो से बात करने पर पता चला कि जब चुनाव आने को होते है तो ये सभी राजनीतिक दल “प्याज” को मुद्दा बनाते है और “साम्प्रदायिकता” को मुद्दा बनाते है /
हिन्दू हो या मुसलमान या दूसरी जातियां सभी समझने लग गयी हैं कि चुनाव में वोट पाने के लिये नेता तीन मुद्दों पर काम करते है और ज्यादा ध्यान देते है ताकि वोट बटोरने का काम किया जा सके / यह तीन मुद्दे हैं “प्याज” पहला , “साम्प्रदायिकता” दूसरा, “तीसरा मोर्चा” तीसरा / जब भी लोक सभा के चुनाव होन्गे यही तीन मुद्दे सामने प्रमुखता से आते हैं / इन मुद्दों की आड़ मे बाकी सभी देश की समस्यायें गटर में चली जाती हैं /
सभी दल भारतीय जनता पार्टी को साम्प्रदायिक बताने में दिन के २४ घन्टे बरबाद कर देते हैं , प्रधान मत्री पद के दावेदार नरेन्द्र मोदी को भी इसी लपेटे मे घसीटा जा रहा है, लेकिन देश की जन्ता को इतना मूर्ख भी नही समझना चाहिये / यह सब समझने लगी है कि कौन साम्प्रदायिक है और कौन नही ? इस बात का किसी के पास चर्चा करने का भी समय नही है कि नरेन्द्र मोदी, भारत का एक ही धार्मिक ग्रन्थ है ” भारत का सम्विधान”, देश का एक ही धर्म है “राष्ट्र धर्म”, देश का एक ही वाद है “राष्ट्र वाद” , देश का एक ही हित है “राष्ट्र हित” और इस देश के रहने वाले “भारतीय” है, ऐसा क्यों कहते है ? क्या इसमे भी कोई राज्नीती राजनीतिक दलों को नजर आती है ?
नरेन्द्र मोदी की यह तकरीर लोग स्वीकार करने लगे हैं / राहुल गान्धी को इसकी काट करने के लिये क्या सोच है ?
४- इस देश के अल्प सन्ख्यकों में भी बहुसन्ख्य मुसलमान [सुन्नी] भारतीय जनता पार्टी से सख्त नफरत करता है और किसी कीमत पर भी भाजपा को support नही करेगा / मेरे बहुत से मुसलमान मित्र हैं जिनके बीच मे मुझे रोजाना अपना आधा दिन बिताना पड़ जाता है , उनसे बहुत खुले दिल से बात होती है / सुन्नी मुसलमानों का विचार है कि भारतीय जनता पार्टी को भारत सरकार द्वारा प्रतिबन्धित कर देना चाहिये और इनके इलेक्शन लड़्ने पर प्रतिबन्ध लगा देना चाहिये / इस कथन पर जब मैने गहरायी से जानने और तदनुसार मन्थन करने की कोशिश की तो मुझे बहुत विचित्र स्तिथियों का आभास हुआ, जिसे मै यहां लिख नही सकता /
राज्नीतिक दल जब यह कहते हैं कि भारतीय जनता पार्टी को शाहनवाज हुसैन और मुख्तार अब्बस नकवी के अलावा तीसरा कोई मुसलमान नेता नही मिलेगा और न मुसलमानों का समर्थन, इस तरह के कथन स्वयम ही मुसलमानों को राज्नीतिक रूप में अलग थलग कर देते है / मुसलमान यही चाहते है /
देश की बहुसन्ख्य वोटरों की मानसिकता नरेन्द्र मोदी को न चाहते हुये भी उनके समर्थन का मन बना चुकी है /
५- देश को भ्रष्टाचार का कलन्क डूबोये दे रहा है / देश की जनता सरकारी स्तर पर हो रहे scam दर scam, घोटाले दर घोटाले से त्रस्त आ चुकी है / जन्ता इस तरह के भ्रष्टाचार से आजिज आ चुकी है /
नरेन्द्र मोदी पर देश को भरोसा है कि वह भ्रष्टाचार दूर करने के लिये कुछ न कुछ अवश्य करेन्गे / देश के लोगों की निगाह अन्ना के जन लोक्पाल को implement करने को लेकर है / देश के भाजपा शासित राज्य उत्तराखन्ड में खन्डूरी सरकार अन्ना का जन लोकपाल लागू कर चुकी है / अन्ना के लोकपाल को देश की जन्ता सबसे अच्छा लोक पाल मसौदा मानती है /
अगर नरेन्द्र मोदी यह घोषणा करते है कि अगर उनकी सरकार बनेगी तो वे अन्ना के लोकपाल के मसौदा जैसा या अन्ना के लोक्पाल को जस का तस देश में लागू करेन्गे, तो देश की जन्ता बहुत उतसाह के साथ नरेन्द्र मोदी को जबर्दस्त समर्थन करेगी / ऐसी मानसिकता मुझे लोगो के विचारों से लगी /
बात सीधी सी है , नेता कहते बहुत है लेकिन जमीनी हकीकत नेता जैसा कहते है वैसा होता नही है / सब हवा हवाई जैसा लगता है / नरेन्द्र मोदी भ्रष्टाचार को हटाने की बात करते है, शुचिता की बात करते हैं , उन्हे साफ साफ साफ-गोई के साथ देश की जन्ता को बताना चाहिये /