महीना: अगस्त 2011

Today’s Prime Minister Sardar Manmohan singh Government Decision SHOCKED THE WHOLE NATION

Its night for me  and is remaining 15 minutes to 01 O’clock, I wake up because I could not sleep due to ANXIETY  OF THE FUTURE  of this Great Nation.

The first issue of the anxiety is the CREADIBILITY  of this Government. I think , the Government have dishonoured the way of GANDHIAN  AGITATIONS totally in this country. The way , dealing  such a crisis, is looking  that novices are running the Governmet without any brain and direction and future results.

The second one , this Governemnet have lost the FAITH and BELIEFS on the NATIONAL LEVEL by their own insincerity. They are jumping from  one branch to another, simply by their own reasons, unsatable in their behaviours without any resonsibility. The Nation is running on the mercy of those hands , which keeps away themselves from any RESPONSIBILITY and RESPONSIVENESS.

We are greatest DEMOCRATIC COUNTRY in the Globe. The whole world is watching our attitude and way of solving this problem, which we have today and agitation on ANTI CORRUPTION MOVEMENT. Are our leaders conveying the massage to the whole world, that DEMOCRACY SYSTEM of Governence is a system of full of corruption and there is no place for rectification, if it is brought in notice by the public and mass to clean corruption ?

The corrupted leaders are more powerful than the public , who sent them for serving the nation for FIVE years and they collectively are making MONEY without any interruption.  

This is an EXTREME STAGE of ANXIETY, everybody should think over it and draw a solution to the problem as early as possible.

I am shocked by the statements of the responsible POLITICIANS of this great country. It looks me that no body is interested in removing  Corruption, adversely they prefer to do corruption without interruption.

प्रधान मन्त्री सरदार मन मोहन सिंह की सरकार का क्या २०११ में अन्त हो जायेगा ?

प्रधान मन्त्री सरदार मन मोहन सिंह की सरकार का क्या २०११ में अन्त हो जायेगा ?

हालात तो कुछ ऐसे ही पैदा हो रहे है / यह कान्ग्रेस की खुश किस्मत थी कि २००९ के चुनाव में उसकी सरकार बन गयी / वह भी दूसरे दलों के समर्थन से / अब इन सभी समर्थन देने वाले दलों के और कान्ग्रेस पार्टी के बीच क्या और किस तरह की डील हुयी और उनके बीच क्या सहमति हुयी , यह तो वही जाने, लेकिन सच सामने आ गया , जब २ जी घोटाला हुआ, राष्ट्र मन्डल खेलों मे भयानक तरीके का भ्रष्टाचार निकल कर सामने आया , मुम्बई की आदर्श सोसायटी मे गैर कानूनी खेल हुआ और इसके साथ ऐसी दूसरी बातें सामने आयी , जिसे मैने पिछले साठ साल में न देखा , न सुना /

अन्ना हजारे हमारे देश के एक वरिष्ठ नागरिक है / वे भारतीय सेना की सेवा एक सैनिक के स्वरूप में कर चुके है / सामाजिक कार्यों की बदौलत उनको उपलब्धियां मिली, जिसे देखकर कोई भी शख्स उनके एचीवमेन्ट का अन्कलन कर सकता है / अविवाहित अन्ना हजारे के पास अपना कहने के लिये कुछ भी नहीं है, न कोई बहुत ज्यादा बैन्क बैलन्स, न दुकान, न मकान, न प्रापर्टी, न खेत , न खलिहान, न कोई असेट्स / यह बात इस देश की जनता को अच्छी तरह से पता है /

अन्ना जी को सेना की ओर से कई मेडल दिये गये / उनको देश का पद्म श्री, पद्म भूषन, राजीव गान्धी सद्भावना पुरस्कार और भारत सरकार तथा महाराष्ट्र सरकार के पुरष्कारों से नवाजा गया / उनकी उपलब्धियों के बारे में मैने दो दशक पहले मशहूर अन्ग्रेजी मासिक पत्रिका Readers Digest में पढा था /

ऐसे साफ सुथरे चरित्र जैसे व्यक्ति के ऊपर जब कान्ग्रेस के घाघ नेताओं ने और सरकार ने साथ मिलकर चौतरफा हमला बोला तो यह स्वाभाविक था कि इसकी प्रतिक्रिया धीरे धीरे जन मानस में कान्ग्रेस के खिलाफ होती चली गयी / कान्ग्रेस के कपिल सिब्बल, पी० चिदामबरम, अम्बिका सोनी, जनार्दन द्विवेदी के साथ साथ अभिषेक मनु सिन्घवी, मनीष तिवारी और दिग्विजय सिंह जैसे नेताओं ने जब अन्ना के खिलाफ बोलना शुरू किया तो इस देश की जनता को यह अच्छा नही लगा / देश के लोगों ने यह समझा कि कान्ग्रेस एक तो खुद चोरी और भ्रष्टाचार कर रही है , इसके साथ साथ सीना जोरी भी दिखा रही है और इस बात की चुनौती इस देश की जनता को दे रही है कि अब जो भी उखाड़ना है , उखाड़ लो /

कान्ग्रेस पार्टी और कान्ग्रेस की सरकार की ऐसी ललकार और इस देश की जनता को दी गयी चुनौती से जनता सनक गयी और नतीजा सामने है , जो हम सभी देख रहे है /

दिनांक १६ अगस्त २०११ को सन्सद के अन्दर के बीते घटना क्रम को याद करिये / सन्सद ठप हो गयी थी / लगभग दिन ११ बजे श्री लाल कृष्ण आडवाणी से कम्युनिस्ट पार्टी के सान्सदों की मुलाकात हुयी / फिर दिन में ४ बजे शाम यही सब सान्सद और विपक्ष के अन्य नेता श्रीमती सुषमा स्वराज से मिले और बैठक हुयी / इसी बैठक में भाग लेने के लिये समाजवादी पार्टी के श्री मुलायम सिह जी यादव भी आये /

यह बैठक शाम ६ बजे तक चली / बैठक समाप्त होने के बाद श्री मुलायम सिह ने कहा कि सरकार ने अन्ना को गिरफ्तार करके गलती की है, इसका खामियाजा इस सरकार को भुगतना पड़ेगा /

शाम ७ बजे अन्ना हजारे को दिल्ली पुलिस रिहा कर देती है / क्यों ?

हम केवल कयास और Guess लगा सकते है कि क्या क्या स्तिथियां बन सकती है, जब कम्युनिस्ट पार्टी के साथ सारा विपक्ष और श्री मुलायम सिह मिले होन्गे ?

पहला – देश की स्तिथि पर चर्चा और सबका यह कहना कि देश में emergency जैसे हालात हो गये है

दूसरा – कान्ग्रेस की सरकार को सहयोग दे रहे दलों की मानसिकता और उनके विचार

तीसरा – क्या हालात ऐसे बन रहे है जिससे कान्ग्रेस की सरकार अल्प मत में आ सकती है /

चौथा – कान्ग्रेस की सरकार यदि बनी रहती है तो सब ठीक है लेकिन परिस्तिथि वश यदि गिरती है तो इस स्तिथि में क्या किया जा सकता है ?

पान्चवा – भारतीय जनता पार्टी का कहना होगा कि अगर सरकार अल्प्मत में आती है तो वे सरकार नहीं बनायेन्गे क्योंकि कोई भी नेता नही चाहता कि सरकार गिरने का ठीकरा भाजपा के सिर फोड़ा जाये / वैसे भी उनको कोई समर्थन देने वाला नहीं होगा /

छठवां – इस स्तिथि में एक समीकरण यह होगा कि कम्युनिस्ट सामने आकर सरकार बनायें / लेकिन इनको समर्थन कौन देगा /

सातवां – ऐसे में श्री मुलायम सिह इस देश के प्रधान मन्त्री हो सकते है और कान्ग्रेस सरकार गिरने की दशा में आगे आ सकते है / क्योंकि उनकी छवि बहुत अच्छी नहीं, तो बहुत खराब भी नहीं है /

आठवां – श्री मुलायम सिह को भारतीय जनता पार्टी बाहर से समर्थन दे सकती है और सरकार में शामिल न होकर अगले बचे टर्म तक सरकार चलाने में मदद कर सकती है /

नवां – कम्युनिस्ट तथा शेष विपक्ष जिसमें तेलगू देशम, शिव सेना आदि शामिल होकर अपने अपने राज्यों में फिर से पैठ बना सकेन्गे, क्योंकि ये सब केन्द्र की सरकार में शामिल होन्गे /

दसवां – जाहिर है , उत्तर प्रदेश में चुनाव होने वाले है / सभी के निशाने पर बहन मायावती होन्गी / केन्द्र में जब श्री मुलायम सिह प्रधान मन्त्री होन्गे, तो बहन मायावती का क्या होगा ? यही हाल पश्चिम बन्गाल, आन्ध्र प्रदेश और महाराष्ट्र की सरकारों का होगा / भाजपा का भी फायदा होगा / कम्युनिस्टॊ की बल्ले बल्ले हो जायेगी और जाहिर है कु० ममता बनर्जी से हार की खुन्नस पश्चिम बन्गाल को भी न ले डूबे /

ग्यारहवां – मुलायम सरकार तो जन लोक पाल विधेयक पास करके जनता की वाह वाही तो लूटेगी ही, सभी पार्टियां अपने जनाधार में इजाफा करके देश की जनता की सहानुभूति भी बटोर ले जायेन्गी /

अन्ना हजारे अगर यह कह रहे हैं कि सरकार यदि ३० अगस्त २०११ तक जन लोक पाल बिल नहीं पास करेगी तो फिर सरकार अपने अस्तित्व के लिये भी सोचे ?

कान्ग्रेस की मौजूदा सरकार ने जल्दी ही कुछ नही किया तो मुझे लगता है कि कुछ तो होकर रहेगा, मुझे तो सारी गणित लगाने के बाद यही समझ में आता है /

सरदार मन मोहन सिन्ह की इस सरकार को बहुमत बनाने और सहयोग तथा समर्थन देने वाले राजनीतिक दल भी बराबर के दोषी

कान्ग्रेस की प्रधान मन्त्री मन्मोहन सिन्ह की इस  सरकार को समर्थन देने वाले सभी राजनीतिक दल भी उतने ही इस देश की जनता के गुनहगार है , जितनी कि कान्ग्रेस है / इस सरकार को समर्थन देने के लिये कमर कसे समाज वादी पार्टी के श्री मुलायम सिन्ह , बहुजन समाज पार्टी की मायावती, द्रमुक, अन्ना द्रमुक की जय ललिता तथा अन्य वे सभी दल जो इस समय कान्ग्रेस की सरकार को समर्थन दे रहे है, उतने ही पाप के दोषी है, जितनी कि कान्ग्रेस कर रही है / यह सम्भव ही नहीं है कि देश की इतनी छीछालेदर हो रही है, सम्वैधानिक सन्स्थाओं की साख पर बट्टा लग रहा है, कान्ग्रेस के नेता अपनी  “हिटलर शाही” इस देश में चला रहे है, जब देखो तब पेट्रोल के दाम बढाये जा रहे है , महन्गायी से सभी परेशान हो रहे है / आम नागरिक का जीना मुहाल है / एक भी इस सरकार के सहयोगी दलों के नेताओं  ने कभी भी विरोध नहीं किया और सभी के सभी सूम साधे बैठे है /

इसका सबसे कारण यह है कि अभी इनको वोट लेने की आवश्यकता नहीं है / केन्द्रीय चुनाव में अभी तीन साल से कुछ अधिक का समय है / कान्ग्रेस के घाघ और मन्जे हुये नेता जानते है और इस देश के लोगों की नस पहचानते है कि  इस् देश की जनता को कैसा चारा फेन्कना चाहिये जो वोट बटोरने में सटीक साबित हो / कान्ग्रेस को सहयोग देने वाले दल जैसे जैसे चुनाव आयेन्गे, वोट लेने के चक्कर में आपस में ही “नूरा कुश्ती” करेन्गे, क्योन्कि ये इन राज्नीतिक दलों की आपसी “अन्डर स्टैन्डिन्ग” होती है कि इनको तो समर्थन देना ही देना है /

मौजूदा सरकार को समर्थन देने वाले सभी राज्नीतिक दलों को एक यह बहाना बचने के लिये मिल रहा है  कि जब लोकपाल बिल सन्सद में आयेगा तब अपनी प्रतिक्रिया देन्गे / इसका सीधा सीधा मतलब यह निकला है कि ये सभी समर्थन देने वाले राजनीतिक दल अपने को यह कहकर जनता की निगाहों में सुरक्षित महसूस करने का प्रयास कर रहे हैं कि उनकी नियत साफ है / लेकिन इसके बहुत से कूटनीतिक मायने निकलते है जो देश, काल और परिस्तिथि के अनुसार बनते और बदलते रहते है , राजनीतिक दलों के लिये राजनीति एक व्यापार और दुकानदारी के अलावा और दूसरा कुछ भी नहीं है /

इतनी महीन  और सूच्छ्म बातें  देश की जनता नहीं समझती है , क्योंकि इस देश की जनता के पास अपना कोई दिमाग नहीं है और इसी ना-समझी और दिमागी-कमजोरी का फायदा  कमोवेश इस देश के सभी के सभी राजनीतिक दल ऊठा रहे  है , अपनी जेबें भर रहे है, भ्रष्टाचार कर रहे हैं, इस देश की जनता को उल्लू बना रहे है और सबसे बड़ी बात यह है कि इस देश की जनता अपने स्वयम को सभी राज्नीतिक दलों द्वारा लुटवाने मे गर्व महसूस करती है और “उफ” करने के बजाय सब कुछ चुप्चाप बर्दाश्त कर लेती है / 

चाहे “नाग नाथ” हों या “सांप नाथ” , हैं तो ये सब एक थैली के ही चट्टे-बट्टे, सवाल यह है कि आखिर दोषी कौन है और दोष किसको दिया जाय ?

महात्मा गान्धी जी के कार्य कलाप, उनकी शिक्षा और उनका बताया गया सत्याग्रह मार्ग और अहिन्सा दर्शन, क्या “आउट आंफ डेट” हो गये हैं ?

इस देश के लिये महात्मा गान्धी मर मिटे, उन्होने सत्याग्रह और अहिन्सा का मार्ग अपनाकर भले ही तत्कालीन परिस्तिथियों वश ब्रिटिश हुकूमत को हटाने का कार्य किया हो, लेकिन सच यह है कि यह काम इस देश की जनता के उस वर्ग ने किया जिसे उनसे पहले के नेताओं ने उनको जोड़ने की कोशिश नहीं की या वे नेता जोड़ने का काम नहीं कर पाये /

सत्याग्रह और अहिन्सा उस समय की मान्ग थी,जब अन्ग्रेजों का शाशन था / उस समय आज की तरह सूचना और प्रेस की टेक्नोलाजी ज्यादा डेवलप नहीं थी / देश के लोग “मानसिक गरीबी” और “आर्थिक गरीबी” दोनों को झेल रहे थे / ऐसे समय में जमीन से जुड़े महात्मा गान्धी उन लोगों के लिये मसीहा बन कर आये जिसे “डाउन ट्रोडेन सोसायटी” कहा जाता है / इस सबसे निचले स्तर को छू जाने वाले महात्मा जी धीरे धीरे ऊपर के तबकों में भी पैठ कर गये /

लेकिन उनको सहायता और सहयोग और उनके साथ कन्धे से कन्धा मिलाकर जूझनेवालों मे सबसे अधिक इसी तबके के लोग आगे आये /

तब की कान्ग्रेस और अब की कान्ग्रेस मे धरती और आसमान का फर्क है / उस समय के कान्ग्रेसी त्याग और तपस्या और आत्म बल पर ध्यान देते थे / कारण यह था कि महत्मा गान्धी जिन्दा थे /

आज के कान्ग्रेसी महात्मा को भूल गये है / उनके दर्शन को भूल गये, उनके सत्याग्रह को भूल गये, उनकी अहिन्सा की पाठशाला के पाठ भूल गये /

आज हाल यह है कि मौजूदा समय के गान्धी के चेले , बापू की ऐसी धरोहर को , ऐसी विरासत को, जिसे सारी दुनिया बड़े आश्चर्य के साथ देखती है, पढ्ती है, उसे खतम कर देने पर तुले है /

सत्य यह है कि मौजूदा सरकार, गान्धी

का नाम केवल और केवल अपने फायदे और अपनी जेबें भरने के लिये करते हैं / उन्हे न तो गान्धी जी की शिक्षा से मतलब है और न गान्धी के दर्शन से / हालात यह है कि श्री मोहन दास करम चन्द गान्धी  इस समय की कान्ग्रेस के लिये “आउट आफ डेट” हो गये है / इसका कारण यह है कि कान्ग्रेसी अब समझ गये है कि श्री मोहन दास करम चन्द  गान्धी उन्हे कुछ दे नहीं सकते , ये धूर्त कान्ग्रेसी इस गान्धी की साख का तब दोहन करते है, जब उन्हे इस देश की जनता को यह चेहरा उस समय दिखाना होता है, जब वे “अपना फायदा” देखते है / इसके लिये वे राज घाट तो जाते ही है , इन कान्ग्रेसियों कॊ कोई फायदा दिखे तो ये “मुर्दा घाट” तक भी जा सकते है /

आज के कान्ग्रेसी उस “गान्धी” को छोड़ करके इस ‘गान्धी’  के चाटुकार और चम्मच हो गये है , जो उनको बहुत कुछ देता है और दे रहा है / इस ‘गान्धी’ का उस “गान्धी” से कोई खून का रिश्ता भी नहीं है , न ही उस गान्धी का नेहरू परिवार से मीलों मीलों दूर का कहीं कोई सम्बन्ध भी नहीं है , लेकिन यही ‘गान्धी’ उस गान्धी की साख के सहारे इस देश के भाग्य विधाता बन गये हैं /

आज इस देश के वासी उस “गान्धी” को तो बिल्कुल भूल गये और इस ‘गान्धी’ की चाटुकारिता में लीन हो रहे है /

यानी असली गान्धी इस देश के लिये “आउट आफ़ डेट” हो गये हैं / 

क्या अब इस देश के नेता “लोकतान्त्रिक तानाशाही” पर उतर आये हैं ?