महीना: दिसम्बर 2011

महात्मा गान्धी के पड़्पोते श्री तुषार गान्धी इस देश के नेताओं से क्या कहते है?

जब तब कभी अचानक ऐसा मौका मिलता है और कान्ग्रेस के नेताओं को अपना उल्लू सीधा करने के लिये और अपना सामूहिक फायदा ऊठाने का त्योहार भांप लेने का बक्त “बाई दा वे” जब मिल जाता है , तो ये सब एक स्वर में “महात्मा गान्धी” की शरण मे जाने से जरा भी नहीं हिचकते / वन्शवादी और “टाईटिल धारी” गान्धी और उनके चेलों ने कभी देश की दुर्दशा पर आन्सू भी नहीं बहाये होन्गे /

लेकिन १०० प्रतिशत असली और १०० टन्च महात्मा गान्धी के परिवार के एक सदस्य और महात्मा गान्धी जी के पड़्पोते – The Great Grandson of Mahatma Gandhi – श्री तुषार गान्धी जी का मन इस महान देश की दुर्दशा देखकर क्या कहत्ता हैं और क्या लिखता है, यह दैनिक जागरण , कानपुर के दिनान्क ०१ दिसम्बर २०११ के सम्पाद्कीय पेज पर छपा है, जरा बानगी इस स्कैन की गयी कापी में देखिये /


एक वह समय था , जब भारत से विदेशी खदे़ड़े जा रहे थे और इस महान देश के लोग इन सबको खदेड़ने के लिये एड़ी चोटी का जोर लगाये दे रहे थे /

आज हालात यह है कि खुद सरकार ही इन विदेशियों को देश में व्यापार जमाने के लिये अप्नी पूरी ताकत के साथ एड़ी चोटी का जोर लगाये दे रही है /

और देश के लोगों को समझाया जा रहा है कि इन विदेशियों को लाने से महन्गायी कम होगी और किसानों को फायदा होगा / ऐसा तो पिछले ६० सालों से तर्क सुनते चले आ रहे है ? लेकिन हकीकत सभी जानते है / बैन्कों का जब राष्ट्रीय करण किया जा रहा था , तब कहा गया कि लोगों को कर्ज दिया जायेगा, किसानों को खेती के लिये और उद्योंगों को बढाने के लिये कर्ज और पून्जी दी जायेगी / क्या यह सब हुआ ? अभी का उदाहरण ले लीजिये, “न्य़ूक्लीयर डील” मे नेताओं की डील हो गयी और जनता को बताया गया कि इससे फ़लाने फ्लाने फायदे होन्गे / क्या ये सब हुआ ?

कान्ग्रेस पार्टी से लोगों का भरोसा अब उठता जा रहा है / आज तक जितने भी वादे किये गये , वे सब कागजी निकले / श्री मनमोहन सिघ की सरकार के अधिसन्ख्य आश्वासन जो भी दिये गये थे , ये सब के सब कोरे आश्वासन निकले /

लोगों का भरोसा इस सरकार के कार्य कलापों से हिल गया है और मन में अविश्वास बैठ गया है /