महीना: जून 2011

सरकारी दुकानदारी का स्पष्ट नमूना

ऐसा भी कभी इस देश की जनता ने सुना या देखा है, जैसा इस लेख के लेखक ने इस देश के लोगों को बताया है / अब यह लेख पढकर आप तय करें कि क्या यह सच भी हो सकता है ?

मुसल्मान, जो राज्नीतिक दलों के “वोट बैन्क” है, क्या कहते हैं………..?

मुसल्मान, जो राज्नीतिक दलों के “वोट बैन्क” है, क्या कहते हैं………..?

जरा इस पर्चे को पढिये, जो कानपुर में मुस्लिम बिरादरी के बीच बान्टा गया था /

मुसलमानों को “वॊट बैन्क” समझने वाले राजनीतिक दल अब क्या समझेन्गे ?

राष्ट्रपिता महात्मा गान्धी “भ्रष्टाचार” के बारे मे

क्या कहते हैं हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गान्धी , इस देश को, इस देश के शासकों के लिये, जरा याद कर लीजिये /

 

महात्मा गान्धी के नाम पर रोटियां सेकने वाले , बताइये आप क्या सोचते है ?

“भ्रष्टाचार” तो पूर्व प्रधान मन्त्री माननीय जवाहर लाल नेहरू के प्रधान मन्त्रित्व के शाशन काल और उनके प्रशासनिक समय की देन

“भ्रष्टाचार” तो पूर्व प्रधान मन्त्री माननीय जवाहर लाल नेहरू के प्रधान मन्त्रित्व के शाशन काल और उनके प्रशासनिक समय की देन है / यह कोई आज की बात नहीं है / कोई अगर यह कहे कि भ्रष्टाचार आज के समय की देन है तो यह बेईमानी होगी /

सन १९५५ के बाद से ही इस देश में केन्द्र शासन के स्तर पर भ्रष्ट आचरण की नींव पड़ना शुरू हो चुकी थी / यह आचरण नया नया शुरू हुआ था यानी यह कहा जाय कि भ्रष्टाचार का इस देश में पदार्पण का पहला कदम शुरू हुआ था /

आम लोग इस तरह के कदाचरण की चर्चा करते थे /

सन १९६० के आस पास की बात होगी, जब प्रधान मन्त्री श्री जवाहर लाल नेहरू के समय की सरकार में शामिल गृह मन्त्री श्री गुलजारी लाल नन्दा जी ने इस पनपते और सिर उठाते हुये भ्रस्टाचार से आजिज होकर सन्सद के अन्दर और बाहर यह कहा कि ” इस देश से मै दो साल के अन्दर भ्रस्टाचार को मिटा दुन्गा ” /

उस समय गृह मन्त्री श्री गुलजारी लाल नन्दा के इस बयान पर बहुत बवाल हुआ / कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने इसका बहुत विरोध किया / जनता के बीच इस बयान का बहुत सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं हुयी / इस देश की जनता ने उनके इस बयान का कोई स्वागत नहीं किया / सबने उनके इस बयान की बहुत खिल्ली उड़ाई /

दो क्या, कई साल बीत गये / लेकिन भ्रष्टाचार जहां का तहां बना रहा / दो साल मे भ्रस्टाचार को समाप्त करने का दावा करने वाले श्री गुलजारी लाल नन्दा आखिर में इस दुनिया से ही निपट गये /

बाबा रामदेव जी को अब क्या करना होगा ?

मै बाबा राम देव जी का बहुत सम्मान करता हू / जब वे योग शिक्षा छोड कर राजनीति में उतरने का प्रयास कर रहे थे, मै उसी समय उनको इस ब्लाग के माध्यम से कुछ सलाह देने वाला था / लेकिन मुझे समय नहीं मिला और मै जो उनको बतौर सलाह देना चाहता था , वह नही कर सका /

मै भूतकाल में क्या हुआ, अब इसके बारे मे छोड़्कर , बाबा के लिये कुछ कहना चाहता हूं /

१- बाबा अब आपके लिये सबसे अच्छा होगा कि आप सन्तुलित मष्तिष्क के साथ जो भी कहें, उसके दूरगामी परिणामों के बारे में आन्कलन करके ही इस देश की जनता के बीच अपने विचार रखें / जो भी कहें उसका कुछ तर्क हो और वह सकारात्मक भी हो / निगेटिव सन्देश से बचें /

२- टकराव की राजनीति न करें / आपको राजनीति से क्या लेना देना ? आप स्वामी विवेकानन्द जी को ले / उनके जीवन को देखें , उनके कार्यों को देखे ? विचार करिये कि क्या यह सब उन्होने किसी राज्नीतिक दल के साथ मिलकर किया ?

३- आपके साथ और आपके समर्थकों के साथ जो भी हुआ, इससे देश के सभी भाग के लोग, नागरिक और देशवासी दुखी, क्षोभ और गुस्से से भरे हुये है / सबके अपने अपने भावनाओं के व्यक्त करने के अलग अलग तर्क है / सन्सार के सबसे बड़े लोकतन्त्र शाशन प्रणाली को अपनाने वाले देश होने के नाते इस तरह के सरकारी अत्याचार को जायज ठहराना किसी भी द्रष्टिकोण से सही नहीं है / अगर सरकार को यही सब करना है तो लोकतन्त्र का क्या मतलब ? यह तो डिक्टेटरशिप हो गयी / आपका जीवन कीमती है, अभी आपको बहुत कुछ करना है और हम सभी आपसे आशा करते है कि आप नागरिको के अधिकारों के लिये उन्हे जागृत करने का प्रयास करेन्गे /

४- आपने “अनशन” करके अपना विरोध व्यक्त कर दिया / विरोध करने के लिये इतना काफी है / अब आप अपना अनशन खत्म करिये और आगे क्या करना है , इस पर विचार करिये /

५- अभी कुछ समय आत्म मन्थन करें /

६- आपके साथ जो भी हुआ है उसके लिये आपके पास अदालतों के दरवाजे खुले हुये है / मीडिया के पास जाइये / ह्यूमेन राइट्स के ्पास जाइये / इस देश के राष्ट्रपति के सामने अपनी बात कहिये /

७- अपने समर्थकों की सन्ख्या हर राज्य में बढाने का प्रयास करें / इसके लिये आप छोटे से छोटे गांव तक जाने का प्रयास करें / आप अपनी इस बनायी हुयी जन शक्ति पर भरोसा करिये / यह जन शक्ति ऐसी हो जो किसी भी चुनाव क्षेत्र में हो रहे चुनाव में निर्णायक भूमिका निभा सके /

८- आप अपने को खुद राज्नीति से अलग रखें / आप खुद “किन्ग” न बने बल्कि “किन्ग मेकर” बने

आखिर में मै यही आपसे अपील करून्गा कि अनशन छोड़्कर दुबारा स्वस्थ्य मन और स्वस्थय तन के साथ तरोताजा होकर अगली नीति पर
विचार करें /

भारत का इतिहास बताता है कि राजा की सत्ता हमेशा अपना महल छोड़्कर साधू की झोपड़ी में मथ्था टेकने के लिये गयी है /

मौजूदा सरकार के सामने पैदा हुये सन्कट से कैसे निपटा जाय ?

देश की हालत बहुत विषम परिस्तिथियों मे पहुन्च चुकी है / भारतीय समाज में इस समय सभी राज्यों मे नागरिकों के बीच भ्रष्टाचार के मुद्दे पर उथल पुथल मची हुयी है और अगर समय रहते इससे नहीं निपटा गया तो स्तिथि बहुत बद से बदतर होती चली जायगी /

जो पिछले एक हफ्ते मे हुआ , वह सभी जानते है / मै इसे दोहराना नहीं चाहता / मै कुछ सुझाव सरकार को दे रहा हूं, शायद इससे कोई बात बन जाये /

१- सारे बवाल की जड़ केन्द्रीय मन्त्री कपिल सिब्बल है / इनसे प्रधान मन्त्री जी को फौरन स्तीफा ले लेना चाहिये और सरकार से निकाल बाहर करना चाहिये / इस मन्त्री की वजह से सारा बवाल हुआ है /

२- सरकार के दूसरे मन्त्री सुबोध कान्त सहाय को भी हटाकर इनको कान्ग्रेस सन्गठन के किसी पद पर बैठा देना चाहिये या किसी राजय का प्रभारी बना देना चाहिये /

३- पुलिस के दो तीन आला अधिकारियों को सस्पेन्ड कर देना होगा और कुछ अन्य पुलिस कर्मियों को भी इसी तरह की दन्डात्मक कार्यवाही करके बाहर करना होगा और चार्ज शीट्ड करना होगा /

४- एक जान्च आयोग का एलान करना होगा जो सारी atrocities की जान्च करके सरकार को बताये कि आखिर क्या कारण थे जिनकी वजह से ऐसा करना लाजिमी था /

५- सरकार ” न नुकुर ” करके स्वीकार करे कि उसको अन्धेरे में रखकर प्रधान मन्त्री या मन्त्रियों के समूह को बिना बताये ऐसी कार्य्वाही की गयी, जिसका सभी को पछतावा है /

६- सिविल सोसायटी के प्रस्तावित बिल की ड्राफ्टिन्ग और मन्त्रियों के समूह के बीच हो रहे वाक युद्द की जड कपिल सिब्बल है, जब सिब्बल बाहर हो जायेन्गे तो जो परिस्तिथियां बने उनके अनुसार यह कहने का मौका मिलेगा कि बिल के लिये थोड़ा और समय चाहिये क्योंकि सिब्बल के जाने के बाद मन्त्रियों की सन्ख्या चार रह जायेगी /

७- बाबा रामदेव जो कुछ कह रहे है, उनको सुनिये और राज्नीतिक तौर तरीके से सरकार निपटे / बाबा फटेहाल है, वो अल्ल बल्ल बकेन्गे, मीडिया के लिये मसाला होगा, इसे कोई नहीं रोक पायेगा / इनसे उसी भाषा में जवाब दिया जाना चाहिये

८- अन्ना हजारे जी का मूवमेन्ट गलत नहीं है / भ्रष्टाचार से सभी आहत है , मै भी हूं / अन्ना हजारे और उनके सभी साथी समझदार है और गान्धीवादी होने के नाते वे अहिन्सा में विश्वास रखते है / सिविल सोसायटी के लोग चाहते है कि भ्रष्टाचार इस देश से दूर हो / इसमें किसी को कोई एतराज नहीं होना चाहिये / सरकार को कुछ पाजिटिव और कुछ निगेटिव रूख अख्तियार करना चाहिये / अगर ये कहते है कि ड्राफ्ट मे इस बात का इन्क्लूसन करे तो इसमे क्या आपत्ति है ? एक बीच का रास्ता निकाल कर कुछ हासिल किया जा सकता है /

९- सरकार को यह सोचना चाहिये कि अभी बिल का ड्राफ्ट तैयार किया जा रहा है / इसमें किसी क्लाज को हटाने या कुछ नया जोड़ने का काम तो सन्सद के दोनो सदनों के अन्दर ही फाइनली होगा/ यह तो फिर सरकार के हाथ में होगा कि वह किस तरह का लोक्पाल बिल चाहती है /

१०- लोकतन्त्र मे सरकार टकराव का रस्ता नही अपना सकती / इस तरह का व्यवहार अराजकता को बढावा देता है /

हम दुनियां के सबसे बड़े लोकतान्त्रिक देश है / क्या हम दुनियां को यह सन्देश देना चाहते है कि लोकतन्त्र एक भ्रष्ट शाशन व्यवस्था है और इसमे खमियां ही खामियां है और इन खामियों को दूर करने का कोई रास्ता ही नहीं है ?