RTI Corruption

आर०टी०आई० सूचना के लिये रुपया २०००/- [ रुपया दो हजार ] मान्गे गये ; नगर पालिका दफ्तर से रुपया दस का IPO और application भी गायब हो गयी

अगस्त २०११ में मैने एक मुकदमे के सिलसिले में R.T.I. की सूचना के तहत जिला: उन्नाव , उत्तर प्रदेश की एक नगर पालिका में application दी थी / कुछ दिन बाद नगर पालिका के दफ्तर में जाने पर पता चला कि मेरी application मय दस रुपये के IPO के गायब है / सम्बन्धित क्लर्क ने कहा कि दुबारा application दीजिये / दुबारा application दी गयी /

आर०टी०आई० की सूचना की मुझे जरूरत इसलिये पड़ी क्योंकि मेरा एक किरायेदार मेरा दो लाख चालिस हजार रुपये का किराया लेकर रफू-चक्कर हो गया / मुकदमा लड़ता रहा और किराया , कचेहरी में जमा नहीं किया और कानून की कमजोरी का फायदा उठाकर भाग गया / किरायेदार से पैसा वसूली के लिये जिला उन्नाव की अदालत में मुकदमा चल रहा है / मेरे वकील नें कहा कि
इस किरायेदार के मकान और जायदाद के लिये पन्चशाला कागज की जरूरत है, जो नगर पालिका के दफ्तर में ही मिलेगा /

मैने सम्बन्धित क्लर्क से बात की तो उसने बताया कि जिस व्यक्ति के मकान का पन्चसाला चाहते है , उसने अपना टैक्स जमा नहीं किया है, इसलिये मिलेगा नहीं / अब आपके पास यही आर०टि०आई० का रास्ता बचा है / इसके लिये आपको रुपया २०००/- खर्च करने पड़ेन्गे, तभी यह सूचना आपको मिल पायेगी /

यह वही समय था “अन्ना हजारे” के दिल्ली के रामलीला ग्राउन्ड में चल रहे “भ्रष्टाचार हटाओ” आन्दोलन का, जिसमें अन्नाजी, भूख हड़्ताल कर रहे थे / मैने उनाव जाकर अपने वकील से पूरी बात बतायी और यह भी बताया कि रुपया २०००/- सूचना देने के लिये मान्गे जा रहे है /

वकील साहब ने कहा, ” पन्चशाला नहीं मिल रहा है तो रहने दीजिये, आर०टी०आई० लेने में इतना अन्धेर खाता मचा है, आप एक भी पैसा मत दीजिये, आप यह सब रहने दीजिये, किरायेदार की मकान की स्तिथि का पता कर लीजिये, और अगली तारीख में मुझे बता दीजियेगा” /

यह उदाहरण यही बताता है कि lower beurocracy मे जिस तरह का भ्रष्टाचार घुस गया है, उससे कैसे निपटा जाय ? यहां तो हाल यह है कि जिस सरकारी द्फ्तर मे काम के लिये जाता हूं , वहीं दफ्तर का हरेक सरकारी मुलाजिम मुंह खोले बैठा है कि जो आया है उसकी जेब कैसे साफ करी जाय?

चाहे वह केन्द्र की सरकार हो या राज्य की सरकारें, चाहे वह कोई भी राज्नीतिक दल हो, कोई भी नहीं चाहता कि इस देश से भ्रष्टाचार दूर हो / मुझे अविश्वास जैसा लगता है कि जिस तरह का सरकार जन लोक्पाल बिल ला रही है , उससे देश के लोगों का कोई भला होगा, बल्कि मुझे ऐसा लगता है कि इस बिल के पास हो जाने के बाद भ्रष्टाचार और ज्यादा बढ जायेगा / क्योंकि “बोफोर्स कान्ड” के उजागर होने के बाद सरकारी दफ्तरों में जिस तेजी से सुविधा शुल्क और घूस देने कि रकम में इजाफा हुआ है, यह मै तब से आज तक देख रहा हू और देखता चला आ रहा हूं / इसलिये मेरे अनुभव में यही है कि सरकारी कर्मचारियों के दिल घूस लेने के मामले में और अधिक खुल जायेन्गे, क्यों कि हर कानून में बहुत से ऐसे छेद होते है जो लोगों को साफ बच जाने का मौका देते है /

सुखराम को लीजिये पन्द्रह साल से अधिक हो गये अभी तक सजा नहीं मिली, क्यों ? पुलिस अधिकारी राठौड का क्या हुआ ? ऐसे ही हजारों हजार नेता और अधिकारी मौजूद हैं, जिनके ऊपर अभी तक वर्षों से कोई कार्यवाही नही हुयी है और सभी फाइलें धूल चाट रही हैं / दर असल इन सबके दिल भ्रष्टाचार से खुल गये है और ऐसे लोग बे-खौफ हो गये हैं / क्या आप समझते है कि कनीमोरी और राजा जैसे नेता सुधर जायन्गे और फिर कभी आगे भ्रष्टाचार नहीं करेन्गे या भरष्टाचार से तौबा कर लेन्गे ? जी नही, यह सोच बिल्कुल गलत है ? अब इन सभी का भ्रष्टाचार करने का तौर तरीका बदल जायेगा, ये और दुगनी तिगनी ताकत लगाकर अधिक से अधिक से भ्रषटाचार करेन्गे, क्योन्कि इनके दिल खुल गये है, ये बे-खौफ हो जायेन्गे / ये समझ गये है कि भ्रश्टाचार करने के बाद ज्यादा से ज्यादा क्या हो सकता है ? इन्हे भ्रष्टाचार से बचाव के सब रास्ते और भ्र्ष्ट कार्यों की सजा से बचने के सभी महीन से महीन बातें पता हो गयी है / सजा काट लेने के बाद सालों मुकदमा लड़ लेन्गे , और पैसा हजम कर जायेन्गे / चार महीने की जेल काटकर अगर बीस हजार करोड़ बचते है तो ऐसा सौदा बुरा कहा जायेगा ?