न्याय यात्रा – ३ ; चीफ जस्टिस आफ इन्डिया श्री सगीर अहमद जी से मुलाकात ; श्री सगीर अहमद के पिता श्री मोहम्मद हुसैन साहब हाईकोर्ट इलाहाबाद की लखनऊ बेन्च मे कई मुकदमे लड़ चुके है /

आज से ३५ साल पहले की लगभग बात होगी , मेरे कई  मुकदमे जिला अदालत , उन्सेनाव से मेरे पक्ष मे निर्णीत हुये / प्रतिपक्षीगण कहा हार स्वीकार करने वाले थे / प्रतिपक्षी जान्ते थे कि माम्ला अगर हाई कोट मे गया तो २५ साल फैसले मे लग जायेन्गे और जगह पर अपना कब्जा रहेगा / जब हार जायेन्गे तो  रातोरात  छोड़ कर भाग जायेम्न्गे / किराया कौन जमा करता है ? जब कार्यवाही होगी तब देखा जायेगा ? ऐसा सोचकर प्रतिपक्षी हाई कोर्ट गये और वहां से स्टे ले आये /

मुझे जवाब दावा देना था / मेरे वकील चौधरी साहब से मेरी बात हुयी / मैने उनसे कहा कि कोई सस्ता और किफायती वकील हो जो मेरा मुकदमा देखे ले और लड़े / वकील साहब ने कहा कि लखनऊ चलते है वहां जान पहचान वाले वकील है उन्ही को मामला सौपते है /

मै अपने वकील साहबान के साथ लखनऊ गया / फाइले मेरे साथ थी / वकील साहब मुझे लेकर श्री सतीश चन्द्र मिश्रा [अब राज्य सभा सदस्य और बसपा पार्टी के बडे नेता है ] के आफिस मे जो हजरत गन्ज के एक हाते मे था, वहा ले गये / श्री सतीश मिश्रा का आफिस और उनका बैठने की जगह पर लगी हक्कानी टेबल लैम्प देखकर मै तो वकील साहब का रुतबा   देखकर मानसिक दबाव मे आ गया / जब हम वहा पहुचे तो उस समय मिश्रा जी नही थे और वे कही गये हुये थे /

थोड़ा सा इन्तजार करने के बाद श्री सतीश चन्द्रा जी मिश्रा आये  , वकील चौधरी साहब से उनके ताल्लुकात बहुत पहले से थे / जैसे ही वे गेट के अन्दर घुसे चौधरी साहब को वह पहचान गये / उन्होने बताया कि मामला क्या है ? उनकी कुछ बात हुयी / बाद मे वह मुझे लेकर गोलागन्ज पोस्ट आफिस के पास लेकर रिक्शे से चले / रास्ते मे मेरे वकील ने बताया कि मिष्रा जी की फीस बहुत लम्बी है और आप उनको अफोर्ड नही कर पाओगे/ इसलिये आप्को दूसरा वकील कराये देते है /

हम गोला गन्ज पहुचे / एक बहुत पुराने मकान के सामने रिक्शा रुका / एक छोटी सी तख्ती लगी थी जिसमे लिखा था “मोहम्म्द हुसैन, एड्वोकेट, हाई कोर्ट” / सिढीयो से होकर हम दोनो लोग कमरे मे पहुचे / यह बहुत पुराना शायद नवाबो के समय का मकान था जो बहुत पुराना था ऐसा मुझे लगा / अन्दर कमरे मे जाने पर मैने देखा कि कई लोग वहा बैठे थे / एक बडे बुजुर्ग साहब एक तरफ बैठे थे / औपचारिक सम्वाद और हाल चाल पूछने के बाद ्वकील साहब ने प्रयोजन बताया / मैने मुकदमो की मिसिल उनको दी और उन पर उन्होने देखकर कहा कि इसका नम्बर तो लगभग २५ साल बाद ही फैसल होकर आयेगा / अभी आज की तारीख मे तो फलाने फालाने सन के मुकदमे चल रहे है /

आरिफ साहब जो आज हाईकोर्ट के बड़े वकीलो मे शुमार होते है , उन दिनो मे हुसैन साहब के असिस्टेन्ट थे और पास मे एक गली मे रहते थे / मैने आधी फीस जमा की और मुकदमे के बारे मे जो लिखा पढी होनी थी उसके लिये समय लिया /

यह सब होने के बाद जब फुर्सत मिली तो मेरे वकील चौधरी साहब ने वही बैठे हुये एक सज्जन से मुखातिब होकर वार्तालाप करना शुरू किया / जब दोनो लोग बाते कर रहे थे , उसी समय मुझे अह्सास हुआ कि वकील साहब जिससे बात कर रहे है वह असम हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाशीश है और छुट्टी पर आये हुये है  /

बाद मे मुझे पता चला कि मो० हुसैन साहब के लड़्के श्री सगीर अहमद है /

[अभी मैटर लोड करना बाकी है ]

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