चीन की हेकड़ी निकालना जरूरी है

चीन की हेकड़ी निकालना जरूरी है ? जब तक चीन की दुखती रग नही दबायी जायेगी तब तक यह मानेगा नही /

चीन फिर अपनी हेकड़ी और रन्गबाजी तथा ठसके बाजी पर उतर आया है / समय आ गया है कि चीन को उसकी औकात की लिमिट समझा दी जाय /

चीन की इस तरह की हेकड़ी और अकड़ फूं का मतलब बिलकुल साफ है / भारत के प्रधान मन्त्री जब से अमेरिका और इजराइल का दौरा करने के बाद जी २० देशों मे जिस तरह से भारत ने अपना दबदबा कायम रखा है उससे चीन अन्दर खाने कुछ न कुछ झल्लाया हुआ है / उसकी झल्लहट तब और बढ गयी है जबसे उसको यह पता चला है कि NSG  group  मे भारत बाइ पास करके सदस्य बनेगा / चीन की हेकड़ी और ऐण्ठ दिखाने की आदत है इसलिये वह जान बूझ् कर  और कुछ तो भारत के अन्दर  नही कर सकता है  इसलिये  उसे और कुछ जब नही मिला तो सीमा पर बवाल काटने का एक मौका ही मिल गया है / खुराफात करने के लिये कूच न कुछ बहाना तो होना ही चाहिये चाहे वह कुछ भी हो /

क्या क्या हो सकता है , अब इस पर विचार करने की जरूरत है /

१- चीन अपनी मिलीटरी के बल पर सड़्क बना रहा है / हमे भी जवाबी कार्यवाही कर्ना चाहिये और इस्की काट कैसे हो यह सोचना चाहिये / हमारे पास बहुत कुछ करने के लिये है / लेकिन इसमे भूटान को भी वही सहयोग करना होगा जो भारत चाहता हो /

२- हमे तिब्ब्त को नही भूलना चाहिये / तिब्बत की एक्साइल सरकार हमारे यहा है / उनके नेता हमारे यहा है / तिब्ब्त पर चीन ने जबरन कब्जा किया हुआ है / आज न सही कल तिब्ब्त की आजादी के लिये जन्ग तो लड़नी ही पडेगी जैसे बान्गला देश से लड़ी गयी है / इसमे भले ही हमारी सेनाओं के साथ तिब्बत की स्वतन्त्रता के लिये मित्र राष्ट्रों की सेनाओ  की  भी जरूरत पडे़ लेकिन यह काम मूल रूप मे हमे ही करना होगा /

३- अगर चीन कहता है कि हम काश्मीर मे दखल देन्गे तो हमे भी पूरा अधिकार है कि हम कहे कि अगर चीन दकह्ल देगा तो हम तिब्ब्त के लिये जवाब मे वैसा ही करेन्गे /

४- चीन मे कम्युनिश्टो का शाशन है / वहा  प्रजा तन्त्र  यानी डेमोक्रेसी नही है / चीन का एक बहुत बड़ा समाज और एक बहुत बड़ी जन्सन्खय यह  चाहता है कि  वहां प्रजातन्त्र की स्थापना हो / चीन की मौजूदा सरकार ऐसा नही चाहती  है / तियानमेन स्क्वायर पर कुछ साल पहले प्रजातन्त्र को लेकर बहुत मार काट मच चुकी है जिसे सर्कार ने बेरहमी से कुचल दिया था / यह आग अभी चीन के प्रजातन्त्र प्रेमियों मे अभी भी जिन्दा है /

चीन अगर तीन पान्च करे तो इस आग को भड़्का देने का कार्यक्रम सभी तरह के प्रचार माध्यमो के जरिये शुरू कर देना चाहिये / भारत मे प्रजा तन्त्र है और इसका फायदा हमे मिलेगा /

५- चीन मे मुसलमान बड़ी सन्ख्या मे है / भारत के मुसल्मनों को चीन के खिलाफ प्रजातन्त्र लाने के लिये तैयार करना चाहिये / भारत के मुसलमान चीन के मुसलमानो को समझाये कि कम्युनिश्ट शाशन उनके लिये कितना और किस तरह से खतरनाक है / मुसलमानों को धार्मिक स्वतन्त्रता चीन मे नही है . जिस तरह की धार्मिक स्वतन्त्रता मुसलमानों को भारत मे प्राप्त है वैसा किसी भी देश मे नही है / चीन के मुसलमानो को बर्गलाने का कार्य क्रम कैसा होना चाहिये यह समझने की बात है और इसे कार्य रूप  देना चाहिये /

६- हान्गकान्ग  चीन का हिस्सा है / पहले यह  ब्रिटिश शासन के हाथ मे था अब यह ट्रान्सअर होकर चीन के पास चला गया है / यहा पचास साल के लिये डेमोक्रेसी का वादा ब्रिटिश सरकार ने किया था / धीरे धीरे यह समय सीमा आ रही है / खतरा इस बात का है कि यहा फिर से साम्यवादी शासन वपस न लागू हो जाय / यह प्रजातन्त्र के लिये बहुत हानिकारक होगा और चीन की विस्तार वादी नीति को बल मिलेगा / हान्ग्कान्ग के लिये सारी दुनिया को सोचना होगा इसमे भारत का रोल महत्व पूर्ण होगा /

७- तिब्बत के अन्दर भारत का दखल “छद्म नीति” के जरिये हो सकता है / मै इसका खुलासा नही कर सकता हू / इशारे के लिये इतना काफी है कि  एक देश दूसरे देश के अन्दर किस तरह  घुसपैठ करके  खुराफात पैदा कर सकता है वही रास्ता अपनाना होगा / तिब्ब्त के नौजवान निर्वासित सरकार के रूप मे हमारे यहां मौजूद है / जब तिब्बत के ऐसे नवजवान तिब्बत की स्वतन्त्रता के लिये  हमारे देश मे  आत्मदाह करने पर उतारू है तो इससे अच्छा यही है कि इनको स्वतन्त्रता सेनानी बनाया जाय /  अब यह कैसे होगा इसका खुलासा मै नही करना चाहता हूं /

८- १५ अगस्त आ रही है / लाल किले से प्रधान मन्त्री फिर हुन्कार भरें और चेतावनी दें पडोसियों को और सारे देश को  और सारी दुनिया को भी कि भारत “सबका बास और सबका विनाश” की नीति पर नही चलना चाहता है बल्कि भारत चाहता है कि “सबका साथ और सबका विकास” हो और दुनिया समृध्ध हो /

“सबका बास और सबका विनाश” तो मुस्लिम देश  के आतन्की  और अमेरिका की आइडियोलाजी ही कर सकती है  क्योन्कि यह डिस्ट्रक्टिव सोच है , यह टकराव की सोच है और यह सोच विनाश की सोच है / कान्स्ट्रक्टिव सोच तो “सबका साथ और सबका विकास” ही हो सकती है / इससे दुनिया मे अमन और चैन का रास्ता बनेगा /