Kanya Bhrun Hatya

Bahut shor sharaba is bishaya par mach raha hai. Mukhya baat par kisi ka dhyan hi nahin hai.

 

Sahi baat yah hai, ki yah ek sakaji k samasya hai aur ise samaj hi suljhayega.

 

Mujhe neeche ingit ki gayi website par jane ka mauka mila. Ise padhakar mujhe laga ki, isme kuchch dam hai.

Aap bhi is web blog par jakar ise jaroor padhein.

http://www.larakiyan.wordpress.com

 

 

Bahut ho

Niche ki

larak

 

52 टिप्पणियाँ

    1. Ek Bachhi Ki Dairy
      15 Dec. Main Maa ki Kok Mein Aa Gai hu.
      30 Dec. Mom Ne Papa Se kaha Ab Aap Papa Banne Wale Ho!!
      Mom Or Papa Bahot Khush Huai
      15 Mar. Mein Ab Apne Dil ki Dhadkan Mahsus kar Skti Hu.
      14 Apr. Ab Mere Nanhe- Nanhe Hath- Pair Hei, Mera Sir Bhi Hai
      13 May Aaj Maine Khud Ek Ultrasound Mashin Ke Screen Mein Dkha, Waha Mein Ek Ladki Hu…..!
      14 May Me ‘MAR’ Chuki Hu, Qki Mein Ladki Thi.
      Log,
      “Maa” Se
      “Biwi” Se,
      “Premika” Se
      Pyar Krte Hai.

      Tho
      Fir “Betiyo” Se Kyo Nahi??
      Send To All Frind’s And Stop This
      Kanya bal hatya

  1. os ki bundo ki tarah hoti hai betiya,
    maa baap ki dulari hoti hai betiya,
    jaan se pyari hoti hai betiya,
    maa baap k dard me hmdard hoti hai betia,

    roshan karega beta to bs ek hi kul ko
    2 2 kul ki laaj hoti hai betiya,
    heera hai agar beta to sacha moti hai betiya
    kanto ki raha pr chalti h betiya,
    auro ki raha me ful banti hai betiya,
    kahne ko parayi amanat hai betiya,
    pr beto se b apni hoti hai betia,

    1. kaas ye baat sabhi log samaj paate… but हे ईश्‍वर, किसी भी मॉं-बाप को लडकियां मत देना । अगर लडकियां देना ही चाहते हैं तो इनके साथ गरीबी न दें और इतना पैसा दें ताकि दहेज और अन्‍य खर्चे पूरे हो जांयें ।

      जिस दिन किसी के घर में कन्‍या का जन्‍म होता है, परिवार के किसी सदस्‍य को कोई विशेष प्रसन्‍नता नही होती । मां बाप के लिये कन्‍या के जन्‍म के क्षण से ही इस बात की चिन्‍ता सताने लगती है कि ब्‍याह शादी के समय वे दहेज और अन्‍य खर्चों के लिये पैसा कहां से लायेंगे । चेतन अथवा अवचेतन मष्तिष्‍क में यह बात कन्‍या की शक्‍ल सूरत देखते ही आ जाती है । ye baat bhi sach hena…

  2. लडकियां
    Just another WordPress.com weblog
    लडकियां
    मई 17, 2007 – 6:58 पूर्वाह्न
    हे ईश्‍वर, किसी भी मॉं-बाप को लडकियां मत देना । अगर लडकियां देना ही चाहते हैं तो इनके साथ गरीबी न दें और इतना पैसा दें ताकि दहेज और अन्‍य खर्चे पूरे हो जांयें ।

    जिस दिन किसी के घर में कन्‍या का जन्‍म होता है, परिवार के किसी सदस्‍य को कोई विशेष प्रसन्‍नता नही होती । मां बाप के लिये कन्‍या के जन्‍म के क्षण से ही इस बात की चिन्‍ता सताने लगती है कि ब्‍याह शादी के समय वे दहेज और अन्‍य खर्चों के लिये पैसा कहां से लायेंगे । चेतन अथवा अवचेतन मष्तिष्‍क में यह बात कन्‍या की शक्‍ल सूरत देखते ही आ जाती है ।

    समय के साथ साथ यह सत्‍य अधिक मुखर होकर सामनें आता है । चूंकि मां बाप सब समझते हैं कि उनकी आर्थिक औकात कितनी है, इस माप तौल के हिसाब से वे कन्‍या के लिये क्‍या कर सकते हैं, इस बात का गुणा भाग लगााने की कल्‍पना करते हैं । यह सब केवल मन की दिलासा देंनें के अलावा और कुछ नहीं होता क्‍योकि वास्‍तविक खतरा अभी दूर होता है और यह उस वर्षों बाद आनें वाले खतरे से निपटनें की कवायद मात्र होती है । लडकी और लडकों में माता पिता पालन पोषण करनें मे कोई भेदभाव नहीं करते , यह बात सत्‍य है । बल्कि होता यह है कि मां बाप लडकी के पालन पोषण मे अधिक रूचि लेते हैं । शिक्षा मे भी कोई कमीं नहीं करते , लडकी जितनीं शिक्षा ग्रहण करना चाहे, मां बाप शिक्षा के लिये प्रोत्‍साहित करते हैं और अपनीं सामर्थ्‍य के अनुसार सब कुछ करते हैं । इसमें अपवाद भी हो सकते हैं, फिर भी ऐसा नहीं है कि सभी माता पिता एक जैसी विचार धारा वाले हों ।
    तमाम परिवार इस तरक्‍की पसन्‍द जमानें में भी मौजूद हैं, जो लडकियों को न केवल शिक्षा से वंचित करते हैं बल्कि उन्‍हें अधिक पढ़नें के लिये हतोत्‍साहित भी करते हैं । इसके पीछे कई कारण हैं । पहला यही है कि लड़का तो सारा जीवन माता पिता के पास रहता है और बड़ा होकर पिता के खानदान का नाम आगे बढायेगा । कमाई करेगा तो घर का खर्च चलेगा । तुलनात्‍मक तौर पर लड़की के साथ एसा है नहीं । लड़की को पढ़ा भी देंगें तो फायदा उसकी ससुराल वाले उठायेंगे । पढ़ाई में पैसा खर्च होता है , यह एक प्रकार का इनवेस्‍टमेंट है । मां बाप यदि लड़की को डाक्‍टर , इंजीनियर, एमबीए बना देते हैं तो इस पढ़ाई का फायदा आखिर में ससुराल वाले उठायेंगें । पैसा खर्च करते करते मर गये मां बाप, जिन्‍होंनें अपनी खून पसीनें की कमाई से लड़कियों को पढ़ाया, पैसा खर्च किया , लेकिन उनके हाथ में क्‍या आया । दहेज में , शादी में , वर ढूंढनें में यब जगह तो पैसा ही खर्च हौता है और पैसे किसी पेड़ पर नहीं उगते और न उनकी कहीं खेती होती है ।

    कन्‍या भूण हत्‍या के पीछे यही कुछ कारण हैं । जो लोग कन्‍या भूण समापन करते हैं , मेंरे दृष्टि कोण से इसमें कुछ भी गलत नहीं है । समस्‍यायें होंगी तो लोग उसका रास्‍ता भी निकालते हैं ।

    आज का हाल यह है कि एक लड़की की शादी में अमूमन कम से कम 6 लाख रूपये से अधिक का खर्च आता है । जिसे एकदम निम्‍न श्रेणी का किफायती विवाह कह सकते हैं । क्‍या एक साधारण , सामान्‍य व्‍यक्ति इस खर्च को उठानें की हिम्‍मत जुटा सकता है, जिसकी आमदनीं छह से दस हजार रूपये महीनें हो । ऐसा व्‍यक्ति क्‍या खायेगा, क्‍या पहनेंगा, कैसे अपनें जीवन को बचायेगा, फिर इस दुंनिया में क्‍या इसी लिये आये हैं कि केवल तकलीफें झेलो और आराम मौज मस्‍ती के लिये सोचो मत । एक कन्‍या को पहले जन्‍म दीजिये,फिर उसकी परवरिश कीजिये । परवरिश कोई ऐसे ही नहीं हो जाती, इसमें तिल तिल करके कितनीं रकम और कितना पैसा खर्च होता है । फिर पढ़ाई मार डालती है । इस मंहगाई के दौर में किस तरह की मंहगी पढ़ायी है, यह किसी से छुपा नहीं है । वर्षों तक पढायी होती है कितना पैसा खर्च होता है । लडकियों की सुरक्षा करना भी एक जहमत भरा काम है । पता नहीं कब किसकी बुरी नज़र लगे , कुछ भी शारीरिक अथवा यौन उत्‍पीड़न, हो सकता है । फिर अंत में लडंका ढूंढिये और शादी करिये । यह कहना और लिखना जितना आसान है, ऐसा है नहीं ।

    पढायी तक तो लड़की आपके पास रही , यहां तक तो आपका नियंत्रण रहा । जब योग्‍य वर की तलाश में निकलेंगें तब आटे दाल का भाव पता चलता है । ऐसी ऐसी लनतरानी लड़के वाले पेलते हैं कि स्‍वयं को आत्‍मग्‍लानि पैदा होंनें लगती है कि लड़की क्‍या पैदा की, मानों कोई गुनाह कर दिया है, कोई पाप कर दिया है । जितनीं कीमत का वर चाहो मिल जायेगा । आप में दम होंनी चाहिये पैसा खर्च करनें के लिये । लड़के वालों को अपनें लड़के की कीमत चाहिये । लड़के के बाप के अलावा लड़के की मां और घर की दूसरी महिलायें भी इस कीमत वसूली में मर्दों से दो कदम आगे हैं ।

    इसमे कतई दो राय नहीं हो सकती है कि इस समस्‍या की मूल में आर्थिक अवस्‍था, सुरक्षा से जुड़े पहलू , अधेड़ अवस्‍था या बृद्धावस्‍था की दहलीज पर घुसते ही मानसिक और शारीरिक टेंशन की समस्‍या , अनावश्‍यक भागदौड़ , लड़के या योग्‍य वर ढूंढनें की शरीर और मन दोंनों तोड़ देनें वाली कवायदें , भागदौड़ , जब तक लड़का न मिल जाय तब तक का मानसिक टेंशन , बेकार का सिद्ध होंनें वाले उत्‍तर , जलालत से भरा लोंगों का , लड़के वालों का व्‍यवहार झेलकर हजारों बार , लाखों बार यही विचार उठते हैं कि लडकी न पैदा करते तो बहुत अच्‍छा होता । स्‍वयं को अपराध बोध होंनें लगता है कि बेकार में लड़की पैदा की , एक जलालत और अपनें सिर पर ओढ़ ली । शांति , चैन , मन की प्रसन्‍नता सब सब नष्‍ट हो जाती है । आप जो काम कर रहें हैं , उसमें भी आप पिछड़तें हैं । पास , पडोंस , हेती , व्‍योवहारी , मित्र आदि कहनें लगते हैं कि लड़की क्‍या कुंवारी ही घर पर बैठाये रक्‍खेंगे ।

    (अपूर्ण लेख, अभी आगे लिखना शेष है )

    prakruti द्वारा | Posted in सामाजिक समस्‍या | टिप्पणियाँ (1)
    कन्‍या भूण हत्‍या
    मई 14, 2007 – 7:56 पूर्वाह्न
    कुछ कारण हैं । जो लोग कन्‍या भूण समापन करते हैं , मेंरे दृष्टि कोण से इसमें कुछ भी गलत नहीं है । समस्‍यायें होंगी तो लोग उसका रास्‍ता भी निकालते हैं । आज का हाल यह है कि एक लड़की की शादी में अमूमन कम से कम 6 लाख रूपये से अधिक का खर्च आता है । जिसे एकदम निम्‍न श्रेणी का किफायती विवाह कह सकते हैं । क्‍या एक साधारण , सामान्‍य व्‍यक्ति इस खर्च को उठानें की हिम्‍मत जुटा सकता है, जिसकी आमदनीं छह से दस हजार रूपये महीनें हो । ऐसा व्‍यक्ति क्‍या खायेगा, क्‍या पहनेंगा, कैसे अपनें जीवन को बचायेगा, फिर इस दुंनिया में क्‍या इसी लिये आये हैं कि केवल तकलीफें झेलो और आराम मौज मस्‍ती के लिये सोचो मत । एक कन्‍या को पहले जन्‍म दीजिये,फिर उसकी परवरिश कीजिये । परवरिश कोई ऐसे ही नहीं हो जाती, इसमें तिल तिल करके कितनीं रकम और कितना पैसा खर्च होता है । फिर पढ़ाई मार डालती है । इस मंहगाई के दौर में किस तरह की मंहगी पढ़ायी है, यह किसी से छुपा नहीं है । वर्षों तक पढायी होती है कितना पैसा खर्च होता है । लडकियों की सुरक्षा करना भी एक जहमत भरा काम है । पता नहीं कब किसकी बुरी नज़र लगे , कुछ भी शारीरिक अथवा यौन उत्‍पीड़न, हो सकता है । फिर अंत में लडंका ढूंढिये और शादी करिये । यह कहना और लिखना जितना आसान है, ऐसा है नहीं ।पढायी तक तो लड़की आपके पास रही , यहां तक तो आपका नियंत्रण रहा । जब योग्‍य वर की तलाश में निकलेंगें तब आटे दाल का भाव पता चलता है

    कन्‍या भ्रूण समापन एक प्रकार की सामाजिक समस्‍या है, जो पूर्णतया धन से जुड़ी है, लेकिन इसके साथ साथ कुछ दूसरे भी कारण हैं । समाज व्‍यक्तियों से बनता है । व्‍यक्तियों के सामनें समस्‍यायें होंगी तो लोग उसका समाधान भी ढूंढेंगे । इन्‍हें जो अपनें हित का समाधान मिलता है तो , वे उसे अपनानें में जरा भी नहीं हिचकिचायेंगे । आज का समाज झंझट पालना कतई नहीं चाहता । मां बाप जानते हैं कि लड़की पैदा करनें में सिवाय नुकसान के कोई फायदा नहीं है । यह विशुद्ध हानि और लाभ के गणित पर आधारित सस्‍वार्थ एकल दर्शन है ।
    आज आप शादी करनें जाते हैं तो कम से कम 6 लाख रूपये दहेज में खर्च होगा । यह सबसे किफायती शादी होगी । आज के दिन , जो कन्‍या पैदा होगी उसका विवाह यदि औसत में 30 वर्ष की उम्र में करेंगें तो दहेज की क्‍या हालत होगी । एक अन्‍दाज के मुताबिक यह रकम 40 लाख से साठ लाख के आसपास होंनी चाहिये । क्‍योंकि जिस रफ्तार से मंहगाई बढ़ रही है उससे तो यही स्थिति बनती है । आपके यहां यदि एक लड़की है तो प्रतिवर्ष आपको सवा लाख से लेकर दो लाख रूपये बचानें पड़ेंगे , लडकी के शादी होंनें तक । यह रकम कहां से लायेंगे , यह सोचना आपका काम है ।

    कन्‍या भ्रूण समापन एक प्रकार की सामाजिक समस्‍या है, जो पूर्णतया धन से जुड़ी है, लेकिन इसके साथ साथ कुछ दूसरे भी कारण हैं । समाज व्‍यक्तियों से बनता है । व्‍यक्तियों के सामनें समस्‍यायें होंगी तो लोग उसका समाधान भी ढूंढेंगे । इन्‍हें जो अपनें हित का समाधान मिलता है तो , वे उसे अपनानें में जरा भी नहीं हिचकिचायेंगे । आज का समाज झंझट पालना कतई नहीं चाहता । मां बाप जानते हैं कि लड़की पैदा करनें में सिवाय नुकसान के कोई फायदा नहीं है । यह विशुद्ध हानि और लाभ के गणित पर आधारित सस्‍वार्थ एकल दर्शन है । इसमे कतई दो राय नहीं हो सकती है कि इस समस्‍या की मूल में आर्थिक अवस्‍था, सुरक्षा से जुड़े पहलू , अधेड़ अवस्‍था या बृद्धावस्‍था की दहलीज पर घुसते ही मानसिक और शारीरिक टेंशन की समस्‍या , अनावश्‍यक भागदौड़ , लड़के या योग्‍य वर ढूंढनें की शरीर और मन दोंनों तोड़ देनें वाली कवायदें , भागदौड़ , जब तक लड़का न मिल जाय तब तक का मानसिक टेंशन , बेकार का सिद्ध होंनें वाले उत्‍तर , जलालत से भरा लोंगों का , लड़के वालों का व्‍यवहार झेलकर हजारों बार , लाखों बार यही विचार उठते हैं कि लडकी न पैदा करते तो बहुत अच्‍छा होता । स्‍वयं को अपराध बोध होंनें लगता है कि बेकार में लड़की पैदा की , एक जलालत और अपनें सिर पर ओढ़ ली । शांति , चैन , मन की प्रसन्‍नता सब सब नष्‍ट हो जाती है । आप जो काम कर रहें हैं , उसमें भी आप पिछड़तें हैं । पास , पडोंस , हेती , व्‍योवहारी , मित्र आदि कहनें लगते हैं कि लड़की क्‍या कुंवारी ही घर पर बैठाये रक्‍खेंगे । आज आप शादी करनें जाते हैं तो कम से कम 6 लाख रूपये दहेज में खर्च होगा । यह सबसे किफायती शादी होगी । आज के दिन , जो कन्‍या पैदा होगी उसका विवाह यदि औसत में 30 वर्ष की उम्र में करेंगें तो दहेज की क्‍या हालत होगी । एक अन्‍दाज के मुताबिक यह रकम 40 लाख से साठ लाख के आसपास होंनी चाहिये । क्‍योंकि जिस रफ्तार से मंहगाई बढ़ रही है उससे तो यही स्थिति बनती है । आपके यहां यदि एक लड़की है तो प्रतिवर्ष आपको सवा लाख से लेकर दो लाख रूपये बचानें पड़ेंगे , लडकी के शादी होंनें तक । यह रकम कहां से लायेंगे , यह सोचना आपका काम है ।
    समस्‍या का समाधान-

    1- कन्‍या भ्रूण हत्‍या की समस्‍या को रोकनें का समाधान केवल व्‍यक्तियों की इच्‍छा पर निर्भर है । मां बाप क्‍या चाहते हैं यह सब उनके विवेक पर छोड़ देना चाहिये । मेंरी सलाह यह है कि यदि पहला बच्‍चा लड़की भ्रूण है , यह पता चल जाय , तो इस पहले भ्रूण का समापन न करायें , किसी भी हालत में । पहले गर्भ का समापन करानें से स्‍थायी बन्‍ध्‍यत्‍व की समस्‍या हो सकती है या किसी गम्‍भीर प्रकार की यौन जननांगों की बीमारी , जो स्‍वास्‍थ्‍य को लम्‍बे अरसे तक बिगाड़ सकती है । प्रथम गर्भ तो किसी हालत में न गिरवायें । यह खतरनाक है ।

    2- आजकल लिंग परीक्षण करना सरल है । यह मां बाप की मर्जी पर र्निभर करता है कि वे कन्‍या पालना चाहते हैं । अगर नहीं चाहते तो इसका समापन कराना ही श्रेयस्‍कर है । अभी समापन कराना सस्‍ता है । एक कन्‍या का पालन जरूर करें, यदि वह प्रथम प्रसव से हो ।

    3- यह न विचार करें कि आप के इस कार्य से लिंग का अनुपात कम हो रहा है या अधिक । यह एक सामाजिक और आर्थिक समस्‍या से जुड़ा हुआ पहलू है । इस समस्‍या का समाधान भी समाज को ही करना पडेगा । इसका ठेका आपनें अकेले नहीं ले रखा है ।

    4- लिंग अनुपात की गड़बड़ी से समलैंगिक विवाह को प्रोत्‍साहन मिलेगा । लड़का , लड़का से और लड़की, लड़की से शादियां करेंगी तो दहेज का प्रश्‍न नहीं होगा । ऐसे ब्‍याह से अपनें देश की जनसंख्‍या की समस्‍या भी कुछ सीमा तक कम होगी ।

    5- यदि बाइ-द-वे किसी मजबूरी से कन्‍या जन्‍मना ही चाहें जो जरूर जन्‍म दें । यदि आपको कन्‍या को पालनें पोषनें में दिक्‍कत आ रही तो किसी सुपात्र व्‍यक्ति , निसंतान को कन्‍या जन्‍मतें ही दे दें । यह बहुत बड़ा दान है ।

    prakruti द्वारा | Posted in सामाजिक समस्‍या | टिप्पणियाँ (18s)
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    •कन्‍या भूण समापन
    श्रेणी
    •सामाजिक समस्‍या
    अभिलेख
    •मई 2007
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    1. sry buddy… in this post i dnt agree with you at any of the point… fst thing… ladkiyo ki shadi mein jitna kharcha aana h… agar proper education di jaye… toh they can themselve bear all… n life is not at all only about having luxuries. N yrr padai itani mahangi h toh itne bache paida karne k jarurat hi kya h… jinko k tum thik se pada b na sako…. aur jaha tak sexual abuse ki baat h… guyz are also not free of that… n yogya var ki talash b ladkiya khud hi kar sakti h… all that parents have to do is to be-leave their child… n if a grl is a jhanjat… toh ladko mein mi kam jhanjhat ni hote…. jyada hi hote h… control a guy is far difficult then controlling a gal… n vese b vo ma baap… ma baap banne k kabil hi nai h jo bacho me b apna profit n loss dekhe… they are jst bloody businessmen… n dahej ki sari problem arranged marriges se h… if u are so as said… looking into the solution of problems… pramote love marriges… but i know… ye hona jyada mushkil h… katl krne se… vese b 1000 mese 55 ladke kavare hi marte h… mean galz are on high demand… toh dahej toh ladke valo ko dena chahiye… if they want their son not to die bachlor… and this all is sue to the mentality like of yours… and kya bache palna kutte palne jesa h??? k hum kutta palenge ya kutiya… n mann… plz dnt go against the nature… othervise all will be distroyed… jab ladkiyan hongi hi nai… toh… what will only guyz do in this world???

      PS
      i guess you got all the better solution of your problem…

  3. हमारे यहां अनेक प्रकार के समाज हैं। कमोबेश हर समाज में नारी की स्थिति एक जैसी है। उस पर उसका पिता होना मतलब अपना सिर कहीं झुकाना ही है। अनेक लोग कहते भी हैं कि ‘लड़की के बाप को सिर तो झुकाना ही पड़ता है।’
    कुछ समाजों ने तो अब शराब खोरी और मांसाहार परोसने जैसे काम विवाहों के अवसर सार्वजनिक कर दिये हैं जो कभी हमारी परंपरा का हिस्सा नहीं रहे। वहां हमने पाश्चात्य सभ्यता का मान्यता दी पर जहां लड़की की बात आती है वहां हमें हमारा धर्म, संस्कार और संस्कृति याद आती है और उसका ढिंढोरा पीटने से बाज नहीं आते।
    कहने का अभिप्राय यह है कि ‘कन्या भ्रुण हत्या’ का नारा लगाना है तो नारा लगाईये पर देश के लोगों को प्रेरित करिये कि
    1. शादी समारोह अत्यंत सादगी से कम लोगों की उपस्थिति में करें। भले ही बाद में स्वागत कार्यक्रम स्वयं लड़के वाले करें।
    2. दहेज को धर्म विरोधी घोषित करें। याद हमारे यहां दहेज का उल्लेख केवल भगवान श्रीराम के विवाह समारोह में दिया गया था पर उस समय की हालत कुछ दूसरे थे। समय के साथ चलना ही हमारे अध्यात्मिक दर्शन का मुख्य संदेश हैं।
    3. लोगों को यह समझायें कि अपने बच्चों का उपयेाग अस्त्र शस्त्र की तरह न करें जिससे चलाकर अपनी वीरता का परिचय दिया जाता है।
    4. अनेक रस्मों को रोकने की सलाह

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